रोलेक्स का नाम आते ही कर कोई यह चाहता है की काश यह घड़ी मेरे पास होती। रोलेक्स की घड़ियां हर एक की खास पसंद होती है। हर कोई इसको पहनना पसंद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की रोलेक्स घड़ियां इतनी महंगी क्यों होती है तो आइए जानते हैं रोलेक्स की घड़ियां के बारे में।
रोलेक्स की घड़ी को बनाने के लिए जिस मैटेरियल का प्रयोग किया जाता है वह काफी महंगा होता है इसको बनाने के लिए 940 अल स्टील का उपयोग किया जाता है जो काफी महंगा होता है। और इसके अन्दर जिस तरह के उपकरणों का उपयोग किया जाता है उन पर बहुत अधिक खर्चा आता है। इस घड़ी के ऊपर सोने ओर चांदी के प्लेट का प्रयोग किया जाता है। रोलेक्स की घड़ियां बहुत ही बारिकी से बनाई जाती है।
रोलेक्स की क्वालिटी की बात की जाए तो यह सेलेब्रिटी की खास पसंद होती है। हर व्यक्ति यह चाहता है की वह रोलेक्स की घड़ी पहने। रोलेक्स की घड़ियां आप समुंदर के 100 फीट ऊपर या नीचे चले जाने पर 1 सेकंड का भी फर्क नहीं पड़ता यह सटीक समय दर्शाती है। रोलेक्स की घड़ियां को बनाने के लिए विशेष रूप से कारीगरों का प्रयोग किया जाता है।
रोलेक्स घड़ी की कीमत -
रोलेक्स की घड़ियां की कीमत की बात करे तो इसकी कीमत 2 लाख से शुरू होकर 1 करोड़ तक बिकती है। रोलेक्स कम्पनी हर रोज लगभग 2000 घड़ियां बनाती है। भारत में रोलेक्स की शुरुवात 2008 मे हुई थीं। रोलेक्स को बनाने के लिए सोने और चांदी के प्लैटिनम का प्रयोग किया जाता है।
आपके मन मे यह सवाल जरूर आता होगा कि सभी घड़ी एक जैसा टाइम दिखाती है फिर लोगो का इस घड़ी के पीछे इतना क्रेज क्यों है। क्योंकि रोलेक्स की घड़ियां अपनी शानदार लग्जरी और शानदार बनावट के लिए महंगी घड़ियों में जानी जाती है। अमीर लोगो के पास जैसे ही पैसे होते है वो सबसे पहले इस घड़ी को खरीदना अपनी शान समझते है।
रोलेक्स घड़ी का इतिहास -
रोलेक्स घड़ी के इतिहास के बारे में बात की जाए तो इसके संस्थापक हैस विलडॉर्फ है। इनका जन्म सन् 1881 के एक छोटे से गांव में हुआ। वह 12 साल का हुआ तो उसके माता - पिता की मृत्यु हो गई। उसके सहपाठी ने अपने पिता की घड़ी निर्यातक कम्पनी मे नौकरी लगवा दी। उसके बाद उसने उस कम्पनी में काम करना शुरू कर दिया। इस कम्पनी मे रहते हुए उसने घड़ी बनाने की सभी बारीकियों की सीख लिया था। सन् 1905 मे जब वह 24 साल का हुआ तो उसने लंदन मे एक कम्पनी की स्थापना की। सबसे पहले उसने बाहर की घड़ियां को एक्स्पर्ट करने का काम किया। लेकिन जैसे - जैसे बिजनेस बढ़ा तो वह आगे चलकर खुद की घड़ियां बनाने लगा। सन् 1908 मे रोलेक्स के नाम के साथ रजिस्टर्ड कर दिया। GINEWA SWITZERLAN में ROLEX का हेड ऑफिस है। सन् 1926 मे रोलेक्स ने पहली वाटर प्रूफ घड़ी बनाई। सन् 1945 मे रोलेक्स ने अपनी घड़ी में तारीख दिखाने का फीचर्स जोड़ दिया। सन् 1953 मे एडमंड हिलेरी ने माउंट एवरेस्ट पर रोलेक्स की घड़ी पहनकर ही चड़ाई की। 2017 की एक रिपोर्ट के हिसाब से रोलेक्स की ब्रांड वैल्यू 8 बिलियन डॉलर है।
इस पोस्ट की पढ़ने के बाद आपको आइडिया हो जाएगा की रोलेक्स की घड़ियां क्यों महंगी होती है। हम आपको यह नहीं कहना चाहते की आप भी रोलेक्स की घड़ियां पहने लेकिन यह सब बाते जानने के बाद आपको आइडिया हो गया है की यह घड़ियां इतनी महंगी क्यों है।
रोलेक्स घड़ी को इतनी बारीकी से तैयार किया जाता है की इसको बनाने में बहुत खर्चा आता है। इस घड़ी में लगे पार्ट इतने महंगे होते है की इसकी कीमत लाखों मे पहूंच जाती है और इसके प्रोडक्शन के लिए अलग से लब और रिसर्च सेंटर बनाए जाते है।
110 साल पुराना यह रोलेक्स ब्रांड आज लोगो के लिए स्टेटस का सिंबल बन चुका है। रोलेक्स एक ऐसा अकेला ब्रांड है जो हर रोज लगभग 2000 घड़ियां बनाता है। आज लोग रोलेक्स की घड़ी को पहनना अपनी शान समझते है। लोग रोलेक्स के सिग्नेचर मॉडल की प्रतीक्षा करते है।
सन् 2008 मे आई यह रोलेक्स की घड़ी आज लोगो को फैशन से जोड़ने के काम कर रही है। एडमंड हिलेरी ने जब इसकी टाइम की गणना को थी तो तब इसमें 1 भी सेकंड का अंतर नहीं आया था। भारत में यह घड़ी 2 लाख से शुरू होकर 1 करोड़ तक बिकती है।
दोस्तो यदि आप भी रोलेक्स घड़ी ख़रीदना चाहते है और अपने स्टेटस को बढ़ाना चाहते है तो आप बिल्कुल सही घड़ी खरीद रहे है। यदि आपको यह पोस्ट पसन्द आई है तो लाइक और शेयर कीजिए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें